mai ek Bhartiya hu. mai samast manavta ki raksha chahta hu. mai ese kisi bhi dharm ko nahi manata hu jo manav ko manav ka shatru banata ho.
भू त्यागी भारतीय बालपन से ही समाज सेवा करने हेतु दृढ़ संकल्पित एक प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं। जो बचपन में ही (8 मार्च 1982) एक कविता ‘‘अर्पण’’ द्वारा अपने शरीर का अंग-अंग दान कर चुके है। इसलिए कुछ लोग उन्हे ‘देहदानी’ भी कहते है।
साथ ही 8-8-88 को किया ये संकल्प कि ‘‘जब तक मेरे भारत में एक भी मनुष्य बिना घर है, तब तक मैं अपनें लिए घर नहीं बनाऊगा, इसके अलावा कोई सम्पत्ति अपने नाम नहीं करुंगा’’।